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तेजी से बढ़ रहे सॉफ्टवेयर उद्योग से विद्यार्थियों को जोड़ने के लिए एमजे कालेज में सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। महाविद्यालय की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर के निर्देश पर आयोजित इस कार्यक्रम में सॉफ्टवेयर डेवलपर नारायण सिंह नेताम ने सॉफ्टवेयर निर्माण प्रौद्योगिकी एवं उसके विभिन्न पहलुओं से बच्चों को अवगत कराया।

MJ College organizes seminar on Software Development

लगभग दो घंटे चली इस संगोष्ठी में सॉफ्टवेयर एथिक्स और उससे जुड़े विभिन्न पहलुओं की चर्चा की गई। श्री नेताम ने बताया सॉफ्टवेयर की आवश्यकता तय हो जाने के बाद उसे डिजाइन किया जाता है, फिर उसका विकास किया जाता है और विभिन्न चरणों में उसका परीक्षण किया जाता है। इसके बाद उसे काम पर लगाया जाता है तथा टेक्नीकल सपोर्ट प्रदान किया जाता है। देखने सुनने में यह जितना आसान लगता है, उतना है नहीं। ग्राहक की जरूरत के हिसाब से कम से कम समय में सॉफ्टवेयर को तैयार करना होता है, उपयोग की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होती है साथ ही किसी भी प्रोसेस में आने वाली दिक्कत को दूर करने के लिए टेक्नीकल सपोर्ट देना होता है।
श्री नारायण ने बताया कि सॉफ्टवेयर उद्योग को दो तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। आंतरिक चुनौतियों में जहां समय पर गुणवत्तापूर्ण उत्पाद तैयार करना होता है वहीं बाह्य कारणों में शासन के निर्देश, नई घोषणाएं, बजट का सिमटना आदि कारक हो सकते हैं।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने संगोष्ठी के लिए कम्यूटर साइंस विभाग को बधाई देते हुए इसे विद्यार्थियों के लिए बेहद उपयोगी और प्रेरणास्पद बताया। कम्प्यूटर विभाग की पीएम अवंतिका, रजनी कुमारी, अलका साहू, किरण तिवारी ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। संगोष्ठी में महाविद्यालय के फैकल्टी एवं बीसीए और डीसीए के 100 से अधिक विद्यार्थी कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए शामिल हुए।