एमजे कालेज की एनएसएस इकाई के विद्यार्थियों ने कालेज के पांच गोद ग्रामों में कोविड-19 की रोकथाम के लिए विशेष प्रयास किये। गांव में कोरोना के प्रभाव का सर्वेक्षण करते हुए उन्होंने कोविड गाइडलाइंस की विस्तार से जानकारी प्रदान की। लोगों को टीकाकरण के लिए प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि अपने स्वास्थ्य की स्थिति को लेकर थोड़ी भी आशंका होने पर टीकाकरण अधिकारी को उसकी जानकारी दें। पर अपनी बारी आने पर टीका करण केन्द्र तक अवश्य पहुंचें।
महाविद्यालय की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर के निर्देश पर चलाए गए इस अभियान के तहत एनएसएस अधिकारी डॉ जेपी कन्नौजे के नेतृत्व में इस दल ने पखवाड़ा व्यापी अभियान चलाया।
इस दल ने महाविद्यालय के गोद ग्राम खपरी, जेवरा-सिरसा, बेलौदी, खम्हरिया एवं चिखली का व्यापक दौरा किया। जेवरा सिरसा इनमें से सबसे ज्यादा प्रभावित गांव हैं जहां बड़ी संख्या में लोगों की मौत कोविड-19 के चलते हुई है। ग्राम बेलौदी में इसका सबसे कम प्रभाव देखा गया। यहां केवल वही लोग प्रभावित मिले जो काम के सिलसिले में भिलाई या दुर्ग की यात्रा करते हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क के नियमों का पालन वे घर से बाहर निकलते समय करते हैं। इसके अलावा सार्वजनिक नलों, तालाबों से वे यथासंभव बचने का प्रयास कर रहे हैं। मितानिनों ने बताया कि यह एक सुखद संयोग है कि सरकार ने लोगों के घर पर ही शौचालय बनवाने का अभियान चलाया जिसके कारण निस्तारी के लिए बाहर जाना बहुत कम हो गया है। इसका लाभ कोरोना काल में मिल रहा है।
वार्ड-1 की निवर्तमान पार्षद नेहा साहू ने कहा कि कोरोना के कारण मुश्किलें जरूर बढ़ी हैं पर इसके लाभ भी हुए हैं। लोग हाथ-पैर धोने की व्यक्तिगत स्वच्छता को भूलने लगे थे। इस महामारी ने लोगों को एक बार फिर इसके लिए प्रेरित किया है। साथ ही अनावश्यक रूप से भीड़ लगाने पर रोक लगी है। बेकार में इधर उधर घूमना भी कम हुआ है। लोग प्राणायाम कर रहे हैं, खान पान पर ध्यान दे रहे हैं। एक तरह से कोरोना लोगों के जीवन में अनुशासन को लौटा लाया है।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने बताया कि यह दौरा न केवल ग्रामीणों के लिए उपयोगी सिद्ध हुआ बल्कि हमें भी ग्रामीणों से