एमजे कालेज में आज अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया गया। महाविद्यालय की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर ने इस अवसर पर छात्राओं को स्वयं को अंदर से मजबूत करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि महिलाएं कोमलांगी हो सकती हैं पर कमजोर कहीं से भी नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि बराबरी के कंसेप्ट में नुक्स है। यदि पत्नी अपने परिवार के लिए खाना बनाती है, पत्नी अपने पति का ख्याल रखती है तो यह कोई गुलामी नहीं है। स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए हमे एक एटीट्यूड अपनाना होगा कि कोई भी व्यक्ति बिना हमारी इजाजत के हमारे आसपास भी न फटक सके।
अतिथि वक्ता क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट सिजी थॉमस ने कहा कि छात्राएं अपनी सुरक्षा और स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए स्वयं को प्रतिस्पर्धी बनाएं। उन्होंने कहा कि महिलाएं समय प्रबंधन में पुरुषों से बेहतर होती हैं और वर्क लाइफ बैलेंस बनाने में भी ज्यादा चतुर होती हैं।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने कहा कि आज बालिकाएं प्रत्येक क्षेत्र में बालकों को पीछे छोड़कर आगे निकल रही हैं। पर यह प्रगति तब तक अधूरी है जब तक कि वह अपने फैसले खुद करने के लिए स्वतंत्र न हो। हमें इस दिशा में निरंतर और काम करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए सहा. प्राध्यापक दीपक रंजन दास ने कहा कि समस्त प्राणीजगत में अकेला मनुष्य योनी ही ऐसा है जिसमें पुरुषों के मुकाबले नारी ज्यादा सुन्दर है। इसलिए उनकी सुरक्षा के लिए समाज ने कुछ कठोर नियम बनाए थे। यह कुछ कुछ ऐसा था जैसा कि प्रकृति ने गुलाब की सुरक्षा के लिए कांटे बनाए हैं।
आरंभ में वाणिज्य एवं प्रबंधन संकाय, विज्ञान संकाय के बच्चे ने भी अपने विचार रखे। बीकॉम प्रथम वर्ष की छात्रा तनु महतो ने कहा कि आज भी अधिकांश परिवारों में लड़कों की शिक्षा पर ज्यादा खर्च किया जाता है। लड़कियों के लिए करियर च्वाइस भी सीमित रखे जाते हैं। घर गृहस्थी संभालने की पूरी जिम्मेदारी भी उनपर ही थोपी जाती है। इसमें बदलाव आना चाहिए।
अंत में डॉ रजनी राय ने महाविद्यालय की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर, सिजी थॉमस, दीपक रंजन दास एवं सभी बच्चों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।